प्रो. टंडन ने कहा है कि "तकनीक और परंपरा का मेल ही भारत की ताकत है। हमारी कोशिश है कि हम ऐसे छात्र तैयार करें जो दुनिया में नाम कमाएं लेकिन अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें।"
Corporate Impact से प्रो. पूनम टंडन ने कई विषयों पर बात की है। उन्होंने बताया है कि यूनिवर्सिटी को हाल ही में UGC की तरफ से Category-1 यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला है और NAAC से A++ ग्रेड भी मिला है। यह सब तभी संभव हो पाया जब यूनिवर्सिटी ने तकनीक, रिसर्च, और इंडस्ट्री के साथ मिलकर शिक्षा को नया रूप दिया।
उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में अब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। साथ ही, डिजिटल लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासरूम, और हाई-टेक लैब्स ने गोरखपुर विश्विद्यालय में पढ़ाई का अनुभव पूरी तरह बदल दिया है। 2024 में यूनिवर्सिटी ने अपना पहला मल्टीमीडिया स्टूडियो भी शुरू किया है। इसमें ऑनलाइन कोर्सेस और SWAYAM जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने कंटेंट को पहुंचाने पर तेजी से काम हो रहा है।
प्रो. टंडन ने बताया कि कई कोर्सेस को इंडस्ट्री की मांग के अनुसार डिजाइन किया गया है ताकि स्टूडेंट्स को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें। नई पीढ़ी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, यूनिवर्सिटी ने AI, डेटा साइंस, ग्रीन एनर्जी, फार्मेसी, बायोटेक्नोलॉजी और IoT जैसे कोर्सेस शुरू किए हैं।
यूपी सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बड़े बदलाव हुए हैं। PM-USHA स्कीम के तहत मिले 100 करोड़ के फंड से यूनिवर्सिटी में नई बिल्डिंग्स, लैब्स और सेंटर्स बन रहे हैं।
ग्लोबल कनेक्शन की बात करें तो यूनिवर्सिटी ने अमेरिका, नेपाल, श्रीलंका, जर्मनी और ऑस्ट्रिया जैसे देशों के विश्वविद्यालयों के साथ समझौते किए हैं। हाल ही में यूनिवर्सिटी ने GUIC-2024 और India-Nepal Symposium on Materials Science जैसे इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस भी होस्ट किए। कई इंटरनेशनल प्रोफेसर और रिसर्चर, गोरखपुर यूनिवर्सिटी में आकर लेक्चर दे चुके हैं और फैकल्टी ट्रेनिंग प्रोग्राम्स का हिस्सा भी बने हैं।
प्रो. पूनम टंडन ने कहा है कि "हमारा सपना है कि गोरखपुर से भी ऐसे स्टूडेंट्स निकलें जो ग्लोबल वर्कफोर्स का हिस्सा बनें, रिसर्च में आगे आएं और अपने क्षेत्र का नाम रोशन करें।''
यूनिवर्सिटी जल्द ही एक स्ट्रक्चर्ड एलुमनी और डायस्पोरा प्लेटफॉर्म भी लॉन्च करने जा रही है। प्रो. टंडन ने यह बताया कि भारतीय प्रवासी और प्रोफेशनल्स, यूनिवर्सिटी के लिए बड़े संसाधन हैं। वे मेंटरशिप, रिसर्च गाइडेंस, और इंटरनेशनल नेटवर्क से स्टूडेंट्स को जोड़ सकते हैं।